ज्योतिष : हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को देवउठनी तिथि पर पूजा की जाती है। के बाद जागते हैं और फिर से दिव्य कार्य भारी को अपने हाथ में लेते हैं।
इसके अगले दिन तुलसी संग विवाह रचाते हैं जिसके बाद सभी मांगलिक कार्य की शुरुआत होती है देवउठनी के दिन देश के प्रसिद्ध तीर्थ में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। ऐसा ही एक मंदिर है जो महाराष्ट्र में स्थित है, जिसे बेहद प्राचीन माना जाता है, तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से इस पवित्र स्थल से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
एकादशी पर होती है महापूजा— देवउठनी एकादशी को बहुत ही खास माना जाता है इस मंदिर पर देश के प्रमुख मंदिरों में विशेष आयोजन किया जाता है तो वही महाराष्ट्र के पंढरपुर में स्थित विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर में इसी दिन मेला लगता है और यात्रा भी इसी दिन मंदिर में साथ ही निकाली जाती है महापूजा का आयोजन भी होता है जिसे देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं।
महाराष्ट्र के विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित किया गया है जो अत्यंत प्राचीन है यहां पिछले 800 वर्षों से देवउठनी मंदिर पर देवउठनी और महापूजा का आयोजन होता रहा है। जहां भक्त बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। विट्ठल रुक्मिणी मंदिर परिसर में ही भक्त चोखामेला और संत नामदेव की समाधि पर भी हर साल वारकरी संप्रदाय के लोग इस मंदिर में यात्रा करने आते हैं।