Naresh Goyal : मामूली नौकरी से Jet Airways के माल‍िक बने नरेश गोयल, लेकिन अब करोड़ों का साम्राज्य कैसे हो गया बर्बाद

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Naresh Goyal : जेट एयरवेज के पूर्व फाउंडर और दिग्गज कारोबारी रहे नरेश गोयल के 538 करोड़ की संपत्ति को को प्रवर्तन निदेशायल ( ED ) ने बीते दिन जब्त कर लिया है। पत्नी और बेटे से जुड़ी संपत्ति को भी जब्त कर लिया गया है।
ईडी ने बैंक फ्रॉड मामले में नरेश गोयल समेत पांच के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। 300 रुपये कमाने वाले नरेश गोयल ने अपने दम पर करोड़ों का साम्राज्य खड़ा किया। उन्होंने अपने दम पर जेट एयरवेज का कारोबार शुरू किया तो वहीं अपनी ही गलतियों से उसे डूबा भी दिया।

कौन है नरेश गोयल

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नरेश गोयल का जन्म 1949 को पंजाब के संगरूर में जन्मे नरेश गोयल शुरू से आर्थिक तंगी के माहौल में रहे। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने मामा की एक ट्रैवल एजेंसी में कैशियर के रूप में नौकरी कर ली। यहां पर उन्हें शुरुआती तौर पर 300 रुपए प्रति माह वेतन मिलता था। यहीं से नरेश ने कॉमर्स में ग्रेजुएशन पूरा किया। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद नरेश एक जीएसए नाम की इंटरनेशनल एयरलाइंस कंपनी के साथ बिजनेस में शामिल हो गए। इसके बाद 1997 से 1974 नरेश कई विदेशी एयरलाइंस के साथ जुड़े रहे। उन्होंने एविएशन इंडस्ट्री और एयरलाइंस के बारे में कई अहम जानकारियां भी हासिल कीं।
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1974 में जेट का हुई शुरुआत

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नरेश गोयल ने 1974 में 15000 से जेट एयरवेज नामक ट्रैवल एजेंसी की शुरुआत की। इसमें उन्होंने एयर फ्रांस, ऑस्ट्रेलियन एयरलाइंस जैसी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती थीं। 0 के दशक में गोयल ने एयर टैक्सी की भी शुरुआत की। दो साल में ही उन्होंने चार विमान अपने नाम कर लिए और धीरे-धीरे आसमान में जेट उड़ान भरने लगा। इसके बाद 5 मई 1993 को जेट एयरवेज के बोइंग ने रनवे पर उड़ान भरी और पहला सवारी विमान आसमान में उड़ता नजर आया। धीरे धीरे ये सबकी पहली पसंद बन गया। लेकिन इंडियो से कॉम्पिटिशन के चक्कर में नरेश गोयल ने एक ऐसा फैसला लिया, जो एयरलाइंस की बर्बादी की वजह बना।

यही से शुरू हुआ बर्बादी का दौर

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साल 2015 में जेट एयरवेज ने एयरलाइन इंडिगो से मुकाबला करने के चक्कर में टिकट के दाम कम करने का फैसला किया। और यही फैसला बन गया नरेश गोयल के बर्बादी का कारण। बता दें कि इंडिगो के मुकाबले जेट एयरवेज का किराया एक रुपये प्रति किलोमीटर अधिक था। नरेश गोयल ने इस अंतर के खत्म करने के लिए अपने टिकट सस्ते कर दिए। टिकट के दाम घटाने के चक्कर में कंपनी कर्ज के फेर में फंसती चली गई। उसने लोगों को टिकटों पर छूट का ऑफर देना शुरू कर दिया। जेट एयरवेज पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा था। जो थोड़ी-बहुत उम्मीद बची थी, वो ईंधन के रेट्स ने पूरा कर दिया। सितंबर 2017 में ईंधन की कीमतों में तेजी के कारण एविएशन इंडस्ट्री पर बोझ बढ़ने लगा। जेट एयरवेज के लिए ये बोझ और भारी हो गया, क्योंकि वो पहले से ही कर्ज में डूबी हुई थी।

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कंपनी के पास अपने कर्मचारियों, पायलट और क्रू मेंबर्स को सैलरी देने तक के पैसे नहीं थे। तमाम मुश्किलों के बाद अप्रैल 2019 में वित्तीय कारणों से कंपनी को बंद करना पड़ा। उन्होंने 2019 में अपनी पत्‍नी अनीता गोयल के साथ जेट एयरवेज के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। जेट एयरवेज ने एनसीएलटी में इन्सोल्वेंसी के लिए आवेदन दिया और कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजरी। कंपनी को फिर से उड़ान भरने के लिए फरवरी 2022 तक का वक्त दिया गया। कंपनी को एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट मिला था, लेकिन कंपनी ने परिचालन शुरू नहीं किया।

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