Unique tradition in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के इस गांव में 1 हफ्ते पहले से मनाई जाती है दिवाली, यहां जानिए इसके पीछे का महत्व

Unique tradition in Chhattisgarh : हमारे भारतीय संस्कृति में दिवाली का बड़ा ही महत्व होता है। ये त्यौहार रौशनी और खुशियों का त्यौहार है। रौशनी का त्यौहार इसलिए कहा जाता हैं क्यूंकि दिवाली के दिन सारे लोग अपने घरों – दुकानों को दिये और लाइटों से सजाते हैं। इस बार ये त्यौहार 12 नवंबर को मनाया जायेगा। पांच दिन के त्योहार ( धनतेरस,दिवाली,गोवर्धन पूजा,भाई दूज ) को लोग बड़े ही धूम धाम से मनाते है।

लेकिन क्या आपको पता है, कि हमारे देश में एक शहर ऐसा भी है, जहां दिपावली का त्योहार एक सप्ताह पहले ही मनाया जाता है। दिवाली ही नहीं छत्तीसगढ़ के इस गांव में हर त्योहार एक सप्ताह पहले ही मनाया जाता है। तो चलिए आज इस परंपरा के बारे में जानते हैं। दरअसल, ये परंपरा छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सेमरा गांव में मनाई जाती है। अब इस परंपरा के बारें में आगे जानने से पहले जान लेते है कि दिवाली क्यों मनाई जाती हैं ?

इसलिए मनाई जाती है देशभर में दिवाली

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Unique tradition in Chhattisgarh : हर साल दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस साल ये त्यौहार 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन पूरा देश रौशनी से जगमगा उठता है। हिन्दू धर्म के अनुसार दिवाली के दिन ही प्रभु श्रीराम लंकापति रावण को हरा कर और 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौठे थे। लौटने के ख़ुशी में अयोध्या वासियों ने पूरे अयोध्या को दीयों को रोशनी से सजा दिया था। तभी से पूरे देश में भगवान राम के जीत और घर वापसी कि खुशी मनाने के लिए दिवाली मनाई जाती है।

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अब आगे आपको उस अनोखी दिवाली के बारें में बताएंगे जहां लोग 1 हफ्ते पहले से ही दिवाली मनाना शुरू हो जाता है। इस गांव में 5 नवंबर को लक्ष्य पूजा और 6 नवंबर को गोवर्धन पूजा के साथ दिवाली का आरंभ हो चुका है। त्यौहार को मनाने की परंपरा पिछले 5 दशकों से चली आ रही है। केवल दिवाली ही नहीं बल्कि होली और हरेली पोला त्यौहार भी एक सप्ताह पहले ही मनाया जाता है।

अनोखी परंपरा के पीछे कि कहानी

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Unique tradition in Chhattisgarh : वहां के निवासियों का कहना है कि गांव में सिदार देव हैं, जिन्होंने गांव को एक बड़ी विपत्ति से मुक्त किया था। इसके बाद गांव के एक पुजारी को सपना आया था, जिसके अनुसार सिदार देव ने गांव में कभी आपदा विपत्ति नहीं आने का आश्वासन दिया और कहा कि इसके लिए आप लोगों को सबसे पहले मेरी पूजा करनी होगी। यही कारण है कि यहां हर साल 7 दिन पहले ही त्यौहार मनाया जाता है।

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