National Postal Week : हर साल 9 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक नेशनल पोस्टल वीक (National Postal Week) मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे का कारण पोस्ट सर्विसेज का हमारे जीवन में क्या महत्व है, इस बारे में लोगों के बीच जानकारी पहुंचाना है। इस हफ्ते की शुरुआत 9 अक्टूबर यानी वर्ल्ड पोस्ट डे के दिन से शुरू होती है। इस दिन के मौके पर लोगों को पोस्टल सर्विसेज के बारे में जानकारी दी जाती है कि यह विभाग भारत में क्या-क्या सुविधाएं देता है। इस साल पोस्टल वीक के दौरान लागों के लिए कई वर्क शॉप्स कराई जाएंगी, जिसके जरिए लोगों में पोस्टल स्टैंप के कलेक्शन और उनके बारे में जानकारी देना, अकाउंट कैसे खोल सकते हैं, इस बारे में बताया जाएगा। आपने देखा होगा कि हमारे देश में लेटर बॉक्स अक्सर लाल रंग के होते हैं, लेकिन इसके अलावा और भी कई रंग के लेटर बॉक्स होते हैं, जिनका अलग-अलग महत्व होता है। आइए जानते हैं कि क्यों अक्सर लेटर बॉक्स का रंग लाल होता है और अन्य रंगों का क्या महत्व होता है।
क्यों होता है लाल रंग?
ब्रिटेन में पोस्ट बॉक्स के रंग को हरा रंग इसलिए दिया गया ताकि वह अपने आसपास के वातावरण जैसा ही लगे। लेकिन बाद में पोस्ट बॉक्स का रंग लाल रखा गया। इसके पीछे का कारण था कि यह रंग दूर से भी जल्दी नजर में आ जाता है। फिर ब्रिटिश कॉमनवेल्थ यानी जिन-जिन देशों ब्रिटेन का शासन रहा, उन्होंने वहां भी लाल रंग के पोस्ट बॉक्स लगवाए। इस वजह से आज भी भारत में अधिकतर पोस्ट बॉक्स का रंग लाल होता है।
पोस्ट बॉक्स के अन्य रंगों का मतलब
लाल पोस्ट बॉक्स- इस रंग के पोस्ट बॉक्स का इस्तेमाल उन मेल को इकट्ठा करने के लिए होता है, जिनकी डिलिवरी लोकल जगहों पर नहीं होनी है।
हरे पोस्ट बॉक्स- इस रंग के पोस्ट बॉक्स का इस्तेमाल लोकल मेल को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है।
नीले पोस्ट बॉक्स- इस रंग के पोस्ट बॉक्स का इस्तेमाल उन मेल को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है, जिन्हें मेट्रो यानी बड़े शहरों में भेजना हो। जैसे- दिल्ली, चेन्नई, कोलकता, मुंबई।
पीले पोस्ट बॉक्स- इस रंग के पोस्ट बॉक्स में अलग-अलग राज्यों की राजधानी के लिए मेल इकट्ठे किए जाते हैं। जैसे- पटना, भोपाल, हैदराबाद आदि।