NIPAH Virus : केरल में निपाह वायरस के मामले स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। राज्य में अब तक छह लोगों में संक्रमण की पुष्टि की गई है, इनके निकट संपर्क में आए एक हजार से अधिक लोगों पर गंभीरता से निगरानी रखी जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल का कोझिकोड जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, इसके अलावा करीब 30 अन्य शहरों में भी संक्रमण के जोखिमों को लेकर लोगों को अलर्ट किया गया है। हालांकि राहत की बात ये है पिछले दो दिनों में किसी नए मामले की पुष्टि नहीं की गई है। रविवार को 43 अन्य लोगों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
मंत्रालय के मुताबिक, अब तक संक्रमितों के 1,192 क्लोज कॉटैक्ट्स के बारे में पता चला है जिनपर गंभीरता से नजर रखी जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को निपाह से बचाव के लिए उपाय करते रहने की सलाह दी है।
निपाह वायरस से दो की मौत
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया, केरल में निपाह के छह संक्रमितों की पुष्टि की गई है, इनमें से दो की मौत हो गई है, बाकी चार लोगों का इलाज चल रहा है। स्थिति के आकलन के आधार पर कहा जा सकता है कि राज्य में एक और संक्रमण के लहर की आशंका नहीं है।
हालांकि वायरस के जीनोम सीक्वेंसिंग के आधार पर कहा जा सकता है कि वायरस का बांग्लादेशी स्ट्रेन, जो इस समय राज्य में तेजी से बढ़ रहा है वो जोखिमों वाला हो सकता है, जिसको लेकर विशेष सावधानी और सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता है। बता दें कि केरल इससे पहले साल 2018 में निपाह की लहर झेल चुका है।
इस बार का वायरस कितना अलग है 2018 के निपाह वायरस से
साल 2018 में राज्य संक्रमण की चपेट में था इसके बाद एक बार फिर से यहां मामले बढ़े हैं। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर केरल में बार-बार फैल रहे निपाह के संक्रमण का क्या कारण है और पिछली बार की तुलना में क्या इस बार के संक्रमण के लक्षणों में कोई अंतर है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, राज्य में एक बार फिर से बढ़ रहे संक्रमण के कारणों पर अगर गौर करें तो इसे दो तरह से समझाया जा सकता है। 2018 के प्रकोप में पता चला था कि कोझिकोड क्षेत्र में चमगादड़ निपाह वायरस का स्रोत थे। फिर, वायरस के उसी स्ट्रेन को सभी मामलों से अलग कर दिया गया। पिछले बार के संक्रमण और इस बार के मामलों की बात करें तो लक्षणों में कुछ अंतर देखा जा रहा है।
पिछले बार के संक्रमण की स्थिति में ज्यादातर लोगों में गंभीर स्थिति में इंसेफलाइटिस की समस्या देखी जा रही है। 2018 में अधितकर लोग बुखार जैसे लक्षण के साथ अस्पताल में भर्ती हो रहे थे जिसके बाद उनमें कई तरह की न्यूरोलॉजिकल समस्याएं विकसित हो रही थीं। हालांकि इस बार ज्यादातर लोगों में श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याएं हो रही हैं जो समय के साथ गंभीर निमोनिया का विकसित होने का जोखिम बढ़ा रही हैं।
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