Political News : छत्तीसगढ़ में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाला है जिसके चलते दो राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह अलॉट हुआ है | मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबा साहेब कंगाले ने बताया कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने अखंड लोकतांत्रिक पार्टी को ऑटो रिक्शा चुनाव चिन्ह दिया है और वह विधानसभा की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसी तरह राष्ट्रवादी भारत पार्टी भी सभी सीटों पर फुटबॉल चिन्ह पर चुनाव लड़ेगी। वह मध्यप्रदेश में 230 और राजस्थान असेंबली की 200 सीटों पर भी उम्मीदवार खड़े करेगी।
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प्रतीक चिन्ह बांटने की परंपरा की शुरुवात
देश में 198 ऐसे मुक्त प्रतीक चिन्ह हैं जो हर बार चुनाव में पार्टी बदलते रहते हैं। देश में 1951 में पहले आम चुनाव हुआ और उसी समय उम्मीदवारों को प्रतीक चिन्ह बाटने की शुरुवात हुई। इसकी मुख्य वजह यह थी कि तब कम लोग शिक्षित हुआ करते थे जिसके चलते यदि वोटर प्रत्याशियों के नाम न पढ़ सकें तो कम से कम चुनाव चिन्ह पहचान कर वोट दे और अपना मनपसंद सांसद या विधायक चुने | 75 सालों में देश में लगभग 72 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षित लोग हैं, लेकिन इसके बाद भी यह प्रथा लागू है। जब तक राष्ट्र में शत-प्रतिशत लोग पढ़े लिखे नहीं होंगे, तब तक चुनाव चिन्हों का अलॉटमेंट प्रत्याशियों को होता रहेगा।
आयोग पिटारे में हैं 198 चुनाव चिन्ह
आयोग के पिटारे में जो 198 चुनाव चिन्ह हैं और यह काफी दिलचस्प भी हैं जिसे मुक्त चुनाव चिन्ह कहा जाता है। अशिक्षित वोटरों को आसानी से पहचान में आ जाएं इसके लिए उन्हें प्रकृति, खेल, फलों, खानपान की चीजों, रोजमर्रा की वस्तुओं, पर्यावरण, गांव व खेती किसानी से लिया गया है। प्रत्याशी भी जब प्रचार करते हैं तो इन चुनाव चिन्हों के बड़े -बड़े होडिंग व कटआउट के जरिए मतदाताओं को रिझाते हैं।
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