Motivational : रीतू अपनी कहानी सुनाते हुए कहती है मैं उस दिन वॉलीबॉल खेल कर वापस घर लौट रही थी। बाइक पर सवार दो लोग आए और मेरे ऊपर कुछ फेंकते हुए निकल गए। अचानक मेरे चेहरे पर तेज जलन होने लगी और गाल की स्किन उतरने लगी। मैं तेज जलन के कारण मैं चीखने लगी। जलन के मारे मैं रास्ते पर लेट कर चिल्ला रही थी, लेकिन कोई मेरी मदद के लिए आगे कोई नहीं आया। 15 से 20 मिनट बाद मेरा छोटा भाई दौड़ते हुए आया और मुझे नजदीक के सरकारी अस्पताल ले गया।
अस्पताल में पता चला उन लोगों ने मेरे चेहरे पर तेजाब फेंका था, उसकी कुछ बूंदे मेरी एक आंख में भी चली गईं। मेरा 80 प्रतिशत चेहरा जल चुका था, अब मैं कभी अपनी बाईं आंख से देख नहीं सकती। मैं उस वक्त 17 साल की थी, जब इस एक घटना ने मेरी पूरी जिंदगी बदल दी।
नेशनल लेवल पर वॉलीबॉल खेलने का मेरा सपना टूट चुका था। मुझे नहीं पता था कि आगे क्या करूंगी, कैसे जिऊंगी। कुछ लोग ताने देने लगे कि जरूर इसकी कोई गलती रही होगी, तभी लड़कों ने ऐसा किया। मगर, मेरे माता पिता मेरे लिए ढाल बनकर खड़े रहे। उन्होंने इन तानों की गूंज मुझ तक पहुंचने ही नहीं दी।
मीडिया में खबर देखकर छांव फाउंडेशन की टीम मुझसे मिलने मेरे घर रोहतक आई। उन्होंने मुझे जुड़ने का ऑफर दिया और मुझे हौसला दिया कि अगर मैं अपने दिल को मजबूत बना लूं तो बिल्कुल वैसी ही जिंदगी जी सकती हूं, जैसी मेरे जैसी दूसरी लड़कियां जीती हैं। एक वो दिन था और आज का दिन है, फिर मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
ये कहना है रीतू सैनी का, जो छांव फाउंडेशन की एक्टिव मेंबर हैं और ‘शीरोज कैफे’ में काम करती हैं। रीतू ने कई प्लेटफार्म पर एसिड अटैक के खिलाफ आवाज उठाई है। वे दो बार ‘एशियन फैशन वीक’ का भी हिस्सा रहीं, जहां उन्होंने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ रैंप वॉक किया।
रीतू ने दीपिका पादुकोण के साथ ‘छपाक’ मूवी में भी काम किया और ‘द कपिल शर्मा शो’ में गेस्ट के तौर पर शिरकत कर चुकी हैं। रीतू इन दिनों अपने जैसी लड़कियों की मदद कर रही हैं और उन्हें हंसते हुए जिंदगी जीने के लिए मोटिवेट कर रही हैं।
वॉलीबॉल खेलने का बहुत शौक था…..
मैं हरियाणा के रोहतक की रहने वाली हूं। मेरी पढ़ाई-लिखाई सरकारी स्कूल से हुई है। मुझे बचपन से ही वॉलीबॉल खेलने का बहुत शौक था। इसलिए मैं स्कूल के बाद ज्यादातर समय वॉलीबॉल कोर्ट में ही बिताती। हम चार भाई बहन हैं। भाई भी वॉलीबॉल खेलते थे, इसलिए घर से खेलने की पूरी छूट थी। पिता जी पेशे से मैकेनिक थे और मां हाउसवाइफ। पापा हमेशा कहते थे कि जिस चीज में अच्छी हो उसी को अपना पेशा बनाओ, जरूरी नहीं हर कोई पढ़ने में होशियार हो।
रास्ते पर मदद की भीख मांगती रही, लेकिन कोई आगे नहीं आया
इलाज के लिए मांगी हरियाणा के मुख्यमंत्री से मदद

इलाज और केस लड़ने में मेरे पिताजी ने सारी जमा पूंजी लगा दी। अब उनके पास आगे की सर्जरी के लिए पैसे नहीं थे। इलाज के लिए मैंने और भाई ने इलाज में मदद के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी। उन्होंने हमसे कहा कि देश के किसी भी अस्पताल से इलाज करवा लीजिए और हम पैसे रिफंड कर देंगे। खर्चा पता किया तो कुछ 20 लाख रुपए का खर्च आया। फिर हमें एडवांस रेड क्रॉस सोसाइटी के बारे में पता चला और वहीं मैंने अपनी आगे की सभी सर्जरी करवाई। 2013 से लेकर अभी तक मेरी कुल 12 सर्जरी हो चुका है।
दूसरे की कहानियों को जाना तो अपना दर्द कम लगने लगा
एसिड अटैक सर्वाइवर के लिए काम करने वाले छांव फाउंडेशन को मीडिया से मेरी कहानी पता चली। उनकी टीम मुझसे मिलने मेरे घर आई। उन्होंने मुझे हौसला बंधाया। मेरी जैसी लड़कियों की जिंदगी को जानने और समझने का मौका दिया।
सब की कहानियों को सुनकर मुझे अपना दर्द छोटा लगने लगा। मेरे पास उनसे जुड़कर काम करने का मौका था, मैंने बिना वक्त गवाए अपना काम शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मैं उनकी टीम के साथ इतनी घुल-मिल गई कि टीम की एक्टिव मेंबर की तौर पर जानी जाने लगी।
‘एशियन फैशन शो’ में किया रैंप वॉक, फिल्म छपाक का भी रही हिस्सा

मैं कई इवेंट्स में जाने लगी वहां लोगों से बात करने का तरीका सीखा। इंग्लिश स्पीकिंग क्लास की ताकि खुद को ग्रूम कर सकूं। मैं मसूरी के ‘लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन’ में होने वाले ट्रेनिंग सेशन का भी हिस्सा रही हूं, जहां हम जैसे विक्टिम्स को ले जाकर उन्हें लाइव सिचुएशन देते हैं कि वो कैसे इसे हैंडल करेंगे।
2016 में एक फेमस फैशन डिजाइनर ने मुझे ‘एशियन फैशन शो’ में रैंप वॉक करने के लिए अप्रोच किया। मैं 2016 और 2018, दो बार इस फैशन शो का हिस्सा रह चुकी हूं। सोशल मीडिया पर आज भी लोग मेरे उस वीडियो को देखकर मेरी तारीफ करते हैं।
मैं फाउंडेशन की उन चार लड़कियों में से एक हूं, जिन्हें दीपिका पादुकोण के साथ ‘छपाक’ फिल्म में काम करने का मौका मिला। मैंने ‘द कपिल शर्मा शो’ में भी गेस्ट के तौर पर शिरकत की। आज मैं छांव फाउंडेशन की मेडिकल टीम का हिस्सा हूं, हमारी टीम उन लड़कियों की ट्रीटमेंट में मदद करती हैं, जिसपर एसिड अटैक हुआ है। मैं खुद उनके साथ जाकर डॉक्टर से मिलती हूं, उनके केस और मेडिकेशन के पूरे प्रोसेस को समझने में उनकी मदद करती हूं। मैं अपना आधा समय ‘शीरोज कैफे’ को देती हूं, जो हम जैसी लड़कियों के द्वारा ही चलाया जाता है।
80% चेहरा झुलसा, एक आंख से दिखना बंद
अस्पताल पहुंचते ही मेरा इमरजेंसी में इलाज शुरू हुआ। इतने में मम्मी-पापा भी अस्पताल पहुंचे। डॉक्टर ने घरवालों को बताया कि मेरे चेहरे का 80 प्रतिशत हिस्सा खराब हो चुका है। यह भी बताया कि बाईं आंख बुरी प्रभावित है, जिसके कारण उसका ऑपरेशन करना पड़ेगा। मैं करीब 10 दिन आईसीयू में रही और 2 महीने अस्पताल में। इस दौरान मेरी दो प्लास्टिक सर्जरी और एक आंख का ऑपरेशन हुआ। आंख का ऑपरेशन होने के एक महीने बाद से ही मुझे उस आंख से दिखना बंद हो गया।
इस दौरान पुलिस जांच में पता लगा कि मुझ पर मेरे फुफेरे भाई ने हमला करवाया था, क्योंकि वो मुझे पसंद करता था। इसके लिए उसने हमलावर को डेढ़ लाख रुपए दिए थे। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने तीन लोगों को उम्रकैद और दो को 10 साल की सजा सुनाई। उम्रकैद पाने वालों में मेरा फुफेरा भाई भी शामिल था।
खुशी है कि फाइनेंशियल इडिपेंडेंट हूं, तभी अपने परिवार की मदद कर पाती हूं
बहुत खुशी है कि सोशल मीडिया के जरिए कई लोग मुझे जानते हैं। आज मैं फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट हूं। अपनी कमाई से अपने परिवार की मदद करती हूं। पापा के जाने के बाद जब मां को कैंसर हुआ तो मैं इतनी सक्षम थी कि मैं उनके इलाज का खर्च उठा पाई। मुझे खुशी है कि मैंने अपने पैशन स्पोर्ट्स को आज तक नहीं छोड़ा। अब मैं कराटे सीख रही हूं, उससे मुझे सुकून मिलता है। मेरा मानना है कि जीवन का हर संघर्ष हमें कुछ सिखाता, हमारे साथ कितना भी बुरा क्यों ना हो जाए, लेकिन वो कुछ ना कर पाने का बहाना नहीं हो सकता। हम चाहें तो हर हाल में खुश रहना सीख सकते हैं, जैसे हम जैसी लड़कियां सीखती हैं।