नई दिल्ली, 5 जुलाई 2023 : अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मिशन चंद्रयान-3 लॉन्चिंग की तैयारी आखिरी चरणों में है। सब कुछ प्लान के अनुसार रहा तो इसरो Chandrayaan-3 को चंद्रमा के लिए 13 जुलाई को लॉन्च कर देगा। कुछ दिनों पहले इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा कि हम इस बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सक्षम होंगे और भारत को बड़ी कामयाबी हासिल होगी।
इसरो ने वीडियो के जरिए दी जानकारी
#WATCH | "Today, at Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota, the encapsulated assembly containing Chandrayaan-3 is mated with LVM3," tweets ISRO.
इसी बीच इसरो ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि बुधवार (5जून) को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 की इनकैप्सुलेटेड असेंबली को LVM3 के साथ जोड़ा गया है। बता दें कि इसी इनकैप्सुलेटेड असेंबली में चंद्रयान-3 मौजूद है। इसरो ने पोस्ट करते हुए एक वीडियो जारी किया है, जिसमें देखा जा सकता है कि LVM3 के साथ इनकैप्सुलेटेड को असेंबल का किया गया।
चंद्रयान-3 के लैंडर में चार पेलोड हैं, जबकि छह पहिये वाले रोवर में दो पेलोड हैं। इसरो ने जानकारी दी कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को वही नाम देने का फैसला किया है, जो चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के नाम थे। Chandrayaan-3 के लैंडर का नाम विक्रम ही होगा, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है और रोवर का नाम प्रज्ञान होगा।
चंद्रयान 3 मिशन क्यों है खास?
अभी तक दुनिया के जितने भी देशों ने अभी चंद्रमा पर अपने यान भेजे हैं, उन सभी की लैंडिंग चांद के उत्तरी ध्रुव पर हुई है, लेकिन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला Chandrayaan-3 पहला अंतरिक्ष मिशन होगा। कुछ सालों पहले Chandrayaan-2 को भी इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही लैंड कराया था, लेकिन आखिरी चंद मिनटों में संपर्क टूटने मिशन नाकाम हो गया था।
इस बार Chandrayaan-3 मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। इस मिशन में एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। चंद्रयान-3 मिशन की लैंडिंग साइट को ‘डार्क साइड ऑफ मून’ कहा जाता है क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता।