रायपुर, 8 जून 2023 : छत्तीसगढ़ में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे पटवारियों ने एस्मा आदेश के बाद भी अड़े। उन्होंने धरने स्थल पर एस्मा आदेश कॉपी जला दी है। उन्होंने कहा कि एस्मा लगाया, लेकिन आदेश की कॉपी तक नहीं दी। हम तैयार हैं, सरकार चाहे जो कार्रवाई कर ले। बता दें की CM भपेश बघेल पटवारियों के अनिश्चितकालीन धरने पर नाराजगी जताई थी । धरने लेकर भूपेश बघेल ने कहा था कि हड़ताल की वजह से युवाओं, नागरिकों को नौकरी, भत्ते संबंधी कार्यों में कोई भी परेशानी नहीं आनी चाहिए। जिसके बाद इस पर राज्य सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। छत्तीसगढ़ गृह विभाग ने आदेश जारी करते हुए पटवारियों का हड़ताल पर एस्मा एक्ट लगा दिया है। जिसके बाद यह छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्राधिकार से प्रकाशित कर दिया गया है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में विगत 15 मई से जारी पटवारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते आम जनता के राजस्व संबंधी कार्यों के निपटारे में काफी कठिनाई आ रही थी। राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979 की धारा 4 की उपधारा 1 तथा 2 में प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए राजस्व विभाग के पटवारियों के लिए यह आदेश जारी किया है। यह आदेश 7 जून से प्रभावीशील किया गया है और आगामी 3 महीने के लिए प्रभावशील रहेगा।
इन प्रमुख मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं पटवारी
– पटवारियों के वेतन में बढ़ोत्तरी की मांग
– वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति
– कार्यालय, संसाधन और भत्ते दिए जाए
– स्टेशनरी का भत्ता दिया जाए
– अन्य हल्के का अतिरिक्त प्रभार मिलने पर भत्ता
– पटवारी भर्ती के लिए योग्यता स्नातक करने की मांग
– मुख्यालय निवास की बाध्यता समाप्त की जाए
– बिना विभागीय जांच के पटवारियों पर एफआईआर दर्ज ना की जाए
क्या है एस्मा?
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य दूसरे माध्यम से सूचित किया जाता है। एस्मा अधिकतम छह महीने के लिए लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय है।
सरकारें क्यों लगाती हैं एस्मा?
सरकारें एस्मा लगाने का फैसला इसलिये करती हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिये आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है। जबकि एस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है। इसके तहत जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते, अन्यथा हड़तालियों को छह माह तक की कैद या ढाई सौ रु. दंड अथवा दोनों हो सकते हैं।
एस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को रोक सकती है। विशेषकर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। एस्मा लागू होने के बाद अगर कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है। वैसे तो एस्मा एक केंद्रीय कानून है जिसे 1968 में लागू किया गया था, लेकिन राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिये स्वतंत्र हैं। इसमें थोड़े बहुत परिवर्तन कर कई राज्य सरकारों ने स्वयं का एस्मा कानून भी बना लिया है और अत्यावश्यक सेवाओं की सूची भी अपने अनुसार बनाई है।