ISRO ने लॉन्च की नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01, जानें इसकी खासियत

नई दिल्ली,29 मई 2023 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) ने सोमवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इससे हमारा नेविगेशन सिस्टम और मजबूत होगा। नाविक सैटेलाइट्स से हमारी सेनाओं को दुश्मनों के ठिकानों की सटीक जानकारी मिलेगी। इनके अलावा, नेविगेशन सर्विस भी मजबूत होगी।

इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने बताया कि भारत के पास 7 नाविक सैटेलाइट्स थे। इनमें से 4 ही काम कर रहे हैं। 3 खराब हो चुक थे। अगर हम तीनों को बदलते तब तक ये 4 भी बेकार हो जाते। इसलिए हमने पांच नेक्स्ट जेनरेशन नाविक सैटेलाइट्स NVS को छोड़ने की तैयारी की। NVS-01 उनमें से एक है।

रॉकेट ने सुबह 10:42 बजे उड़ान भरी

नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से सुबह 10:42 बजे GSLV ने उड़ान भरी। लॉन्च के करीब 18 मिनट बाद रॉकेट से पेलोड अलग हो गया। इसने एनवीएस-1 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में डिप्लॉय किया गया। इसके बाद इंजीनियरों ने सैटेलाइट को सही ऑर्बिट में प्लेस करने के लिए ऑर्बिट-रेजिंग मैनुवर परफॉर्म किए गए।

इसकी खासियत

जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी और ओला-उबर जैसी सर्विसेज नेविगेशन के लिए GPS का इस्तेमाल करती हैं। NavIC इन कंपनियों के लिए नेविगेशन सब्सक्रिप्शन कॉस्ट को कम कर सकता है और एक्यूरेसी बढ़ा सकता है।

NavIC से अमेरिका के जीपीएस पर निर्भरता कम होगी और इंटरनेशनल बॉर्डर सिक्योरिटी ज्यादा बेहतर होगी। चक्रवातों के दौरान मछुआरों, पुलिस, सेना और हवाई/जल परिवहन को बेहतर नेविगेशन सिक्योरिटी मिलेगी।

NavIC टेक्नोलॉजी ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री को मदद कर सकती है। इसके जरिेए टूर को ज्यादा इनफॉर्मेटिव और इंटरैक्टिव बनाकर गेस्ट का एक्सपीरियंस और ज्यादा बेहतर बनाया जा सकता है। आम लोग लोकेशन के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

7 सैटेलाइट का कॉन्सटेलेशन है नाविक

इसरो ने नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (NavIC) नाम के एक रिजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम को डेवलप किया है। 7 सैटेलाइट का कॉन्सटेलेशन 24×7 ऑपरेट होने वाले ग्राउंड स्टेशनों के साथ मिलकर काम करता है। NavIC को पहले इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) के रूप में जाना जाता था।

NavIC का अभी का वर्जन L5 और S बैंड के साथ कॉम्पेटिबल है। यह इंटरनेशनल फ्रीक्वेंसी कोऑर्डिनेशन और कॉम्पेबिलिटी के अनुसार है। L1 बैंड सिविलियन सेक्टर में तेजी से पैठ बनाने में मदद करेगा। NVS-01 और आगे के सभी सैटेलाइट में L1 बैंड होगा।

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